हाल ही में Amerika (USA) के अंदर प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनिवर्सिटीज में छात्रों के द्वारा टेंट लगा कर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है और पुलिस प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए बल का प्रयोग कर रही है महिलाओं पर भी पुरुष पुलिस द्वारा बल का प्रयोग किया जा रहा है। 550 विद्यार्थी अभी तक गिरफ्तार हो चुके हैं

अमेरिका दुनिया की सबसे पुरानी डेमोक्रेसी वाला देश
अमेरिका जिस प्रकार से दुनिया में अपने आप को सबसे वर्चस्व वाला Country कहा जाता है अमेरिका को इस बात का बड़ा घमंड है कि दुनिया को डेमोक्रेटिक बनाने में अमेरिका का बड़ा योगदान है बाकी जो साम्यवादी होते हैं वह तो धीरे-धीरे तानाशाह हो जाते हैं अमेरिका अक्सर सोवियत रूस में स्टेलिन दौर को और सोवियत रूस के बाद बने रूस में पुतिन के दौर को इसी रूप में प्रेजेंट करता है कि देखिए धीरे-धीरे ये डिक्टेटर हो जाते हैं डिक्टेटरशिप साम्यवाद की देन मानी जाती है हम तो पूंजीवादी लोग हैं और हम लोकतंत्र लेकर आए हैं तो अमेरिका लोगों को पूंजीवाद का साथ ही साथ लोकतंत्र का मसीहा समझाता है कि देखिए मैं लोकतांत्रिक कंट्री हूं यहां लोगों को बोलने का अधिकार दिया जाता है अमेरिका अपने आप को नंबर वन ओल्डेस्ट Democratic कहलवाना पसंद करता है जिस प्रकार हम इंडिया को लार्जेस्ट डेमोक्रेसी कहते हैं वो अपने आप को ओल्डेस्ट कहना पसंद करते हैं दूसरी बड़ी बात एक और टर्मिनोलॉजी है जिसके आधार पर अमेरिका दुनिया की ग्रेडिंग करता है और उस टर्मिनोलॉजी का नाम है ह्यूमन राइट रवैए के मानव अधिकार उदाहरण के लिए आज अगर हमारे यहां पर प्रोटेस्ट हो रहे हैं प्रोटेस्ट में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस बरसा दिए या फिर अपने द्वारा उनको रोकने के लिए कुछ प्रतिबंध लगा दिए उठाकर जेल में डाल दिया अमेरिका के अखबारों में दूसरे दिन मानव अधिकारों पर चिंता व्यक्त कर दी जाती है। मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए इन्हीं आधार पर अमेरिका दुनिया भर के देशों पर हमले करता है और इन्हीं आधार पर वह दुनिया भर के देशों में सैंक्शंस लगाता है इजराइल ,अफगानिस्तान पर अमेरिका ने कभी भी कोई कार्रवाई की है तो उसके पीछे वह मानव अधिकार ही ओड़कर चलता है आतंकवाद मानव अधिकार और डेमोक्रेसी की स्थापना तक हम यही वहीं रहेंगे इस प्रकार से वह किसी भी देश को टारगेट करता है।
अमेरिका के अंदर उसी की यूनिवर्सिटीज में लोग अमेरिका को याद दिला रहे हैं कि सर जो आपने हैवी फंडिंग की है ना इजराइल और गाजा के बीच चल रहे युद्व में डॉलर से ज्यादा खर्च कर चुके हो ।अमेरिका के द्वारा बिलियंस ऑफ डॉलर इजराइल के ऊपर खर्च किए जाते हैं हाल ही में जो इजराइल पर हो रहा खर्चा है उसका उपयोग गाजा के ऊपर हुआ है।
प्रोटेस्ट का मूल कारण क्या है
7 अक्टूबर गाजा की तरफ से हमास के आतंकी इजराइल में एंट्री कर गए थे और लगभग सवा से 150 इजराइली हों की जान ले ली थी उसके बाद इजराइल ने जो बदला लिया कि अब तक 34356 लोग मारे जाने की खबर है यह आज से दो दिन पहले का आंकड़ा है, 77000 से ज्यादा लोग अभी गाजा के अंदर घायल हैं यानी कि गाजा ने हमास के आतंकियों के द्वारा किए गए कृत्य की इतनी बड़ी कीमत चुकाई है कि अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक गाजा पर हमले रुके नहीं है।
कुछ मानव अधिकार कार्यकर्ता अमेरिका को याद दिलाने सड़कों पर उतर आए और इजराइल के खिलाफ मुस्लिम देशों में ऑलरेडी बहुत सारी कंपनीज जो अमेरिका समर्थित थी उनके खिलाफ प्रोटेस्ट हुए हैं और तो और अमेरिका के अंदर ही बाइडन की पार्टी से कुछ लोग खड़े हो कर अमेरिका के खिलाफ प्रोटेस्ट कर कह रहे है कि आप अभी तक 95 बिलियन डॉलर से ज्यादा यूक्रेन और इजराइल दे चुके हैं इसे रोकिए।
अमेरिका के अन्दर यॉर्क यूनिवर्सिटी ,येल यूनिवर्सिटी इन सभी यूनिवर्सिटीज के बाहर खड़े होकर लोग प्रदर्शन करने लगे और इनके प्रदर्शनों में बड़ी मांग निकल कर आने लगी कि इजराइल का समर्थन करना अमेरिका बंद करें और तत्काल प्रभाव से यूनिवर्सिटीज में जो इजराइली कंपनियों से फंडिंग आती है उसे रोका जाए।
प्रोटेस्ट करने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई में बाधा बन रहे हैं इजराइल की सुरक्षा के लिए जो बाधा बन रहे हैं वह सही हैं या फिर पुलिस के द्वारा जो उन पर बल प्रयोग किया जा रहा है पुलिस सही है महिलाओं के खिलाफ पुलिस के द्वारा जो बल प्रयोग किया जा रहा है क्या वो सही है यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स को गिरफ्तार करके ले जाया जा रहा है क्या वो सही है इस पर अपनी राय कमेन्ट में जरूर दें।
अमेरिका को भारत से सीख लेनी चाहिए
India में बोलने का अधिकार युक्ति युक्त प्रतिबंधों के साथ मिलता है इसीलिए भारतीय राज व्यवस्था हर विद्यार्थी को पढ़नी चाहिए। मूल अधिकारों में आर्टिकल 21 ,आर्टिकल 19 आर्टिकल 14 इनकी प्रॉपर व्याख्या दिया और यह बताया है कि आपकी जो अभिव्यक्ति की आजादी है फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन उसके पीछे रीजनेबल रेस्टिच लिखे हुए हैं कि देश का लॉ एंड ऑर्डर नहीं बिगड़ना चाहिए और लॉ एंड ऑर्डर जब बिगड़ता है तो पुलिस एक्शन लेने को मजबूर होती है