Myanmar: म्यांमार एक बार फिर दुनिया के सामने विद्रोह और सत्ता संघर्ष का केंद्र बन गया है। हाल ही में अराकान आर्मी, जो एक विद्रोही गुट है, ने म्यांमार के मंड गांव और उसके आस-पास के इलाकों पर कब्जा कर लिया है। इस घटनाक्रम ने न केवल म्यांमार बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को हिला कर रख दिया है।

विद्रोह का केंद्र: रखाइन प्रांत
म्यांमार का रखाइन प्रांत, जो बांग्लादेश से सटा हुआ है, विद्रोह और संघर्ष का मुख्य केंद्र बन चुका है। यह क्षेत्र म्यांमार की आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से रेयर अर्थ मेटल्स का खनन होता है, जो इलेक्ट्रिक बैटरियों के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं।
अराकान आर्मी ने यहां के मिलिट्री बेस पर कब्जा कर म्यांमार के जनरल को भागने पर मजबूर कर दिया है। यह वही क्षेत्र है जहां से रोहिंग्या मुसलमानों ने उत्पीड़न के कारण भागकर बांग्लादेश और भारत का रुख किया था।
भारत पर प्रभाव
भारत और म्यांमार के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं। म्यांमार के रखाइन क्षेत्र से होकर भारत का महत्वाकांक्षी कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट गुजरता है। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत, मिज़ोरम को सिवे पोर्ट के माध्यम से जोड़ता है। हालांकि, अराकान आर्मी के बढ़ते प्रभाव और Myanmar की मिलिट्री के हमलों के कारण यह प्रोजेक्ट खतरे में है।
बांग्लादेश की स्थिति
बांग्लादेश पहले से ही रोहिंग्या शरणार्थियों का बोझ उठा रहा है। अब म्यांमार के विद्रोही और सरकारी गार्ड भी सीमा पार कर बांग्लादेश( Bangladesh ) में शरण ले रहे हैं। इससे बांग्लादेश के कॉक्स बाजार क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।
क्षेत्रीय राजनीति और चीन की भूमिका
चीन, Myanmar के साथ अपने आर्थिक कॉरिडोर के कारण यहां सक्रिय है। चीन ने म्यांमार की मिलिट्री और विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता कराने की कोशिश की है, ताकि उसकी परियोजनाओं को नुकसान न हो।
म्यांमार का राजनीतिक इतिहास
म्यांमार में 1962 से ही सेना का शासन है। लोकतंत्र समर्थक आंग सान सू की की लोकप्रियता के बावजूद, सेना ने उन्हें बार-बार सत्ता से बाहर किया। वर्तमान में भी आंग सान सू की नजरबंद हैं और म्यांमार की जनता लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रही है।
भारत के लिए चुनौतियां
म्यांमार की अस्थिरता भारत के लिए कई चुनौतियां लेकर आती है:
- प्रवासन (Migration) : बड़ी संख्या में रोहिंग्या और म्यांमार के नागरिक भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर रहे हैं।
- आर्थिक प्रोजेक्ट्स: कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है।
- सुरक्षा: मिज़ोरम के सीमावर्ती इलाकों में तनाव बढ़ सकता है।
Myanmar की स्थिति सिर्फ एक देश का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता और विकास को प्रभावित कर रही है। भारत और अन्य पड़ोसी देशों को म्यांमार की इस स्थिति से निपटने के लिए एक ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है।