वक्फ बोर्ड को भारत में विशेष अधिकार प्राप्त है, जिसके अंतर्गत वह किसी भी धार्मिक या परोपकारी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है। इस अधिकार का उपयोग करते हुए वक्फ बोर्ड ने कई जगहों पर दावे किए हैं, जो न केवल विवादित रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोगों और अन्य धर्मों के लोगों के बीच विवादों को जन्म देने का कारण भी बने हैं। हाल ही में सरकार ने वक्फ बोर्ड के इन अधिकारों पर लगाम कसने के लिए एक नया बिल पेश किया है, जिससे अब वक्फ बोर्ड मनमानी जगहों पर दावा नहीं कर सकेगा।

वक्फ बोर्ड कानून क्या है? वक्फ बोर्ड के अधिकार और उनकी सीमा (waqf board act)
waqf board को भारत में इस्लामिक धर्मस्थलों और धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन और नियंत्रण करने के अधिकार प्राप्त हैं। वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है किसी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित करना। इस प्रक्रिया में संपत्ति को स्थायी रूप से इस्लामिक धर्मस्थलों या धार्मिक संस्थानों के लिए समर्पित कर दिया जाता है, जिससे वह संपत्ति बोर्ड के नियंत्रण में आ जाती है।
वक्फ बोर्ड के पास यह अधिकार होता है कि वह किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है, बशर्ते वह संपत्ति वक्फ के अंतर्गत आती हो। हालांकि, इस अधिकार का दुरुपयोग भी हुआ है, जिसके कारण कई विवाद पैदा हुए हैं। वक्फ बोर्ड ने कई ऐसी जगहों पर दावा किया है, जो पहले से ही किसी अन्य धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व की मानी जाती हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति के विवादित दावे (waqf board property)
वक्फ बोर्ड के विवादित दावों की सूची लंबी है। तमिलनाडु के त्रिचुरा पल्ली गांव की घटना इसका एक प्रमुख उदाहरण है। यहां वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव की जमीन को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया, जिसमें 1500 साल पुराना एक मंदिर भी शामिल था। इस दावे ने स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया और अंततः कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया।
इसी प्रकार, वक्फ बोर्ड ने आगरा में स्थित ताजमहल पर भी दावा किया था। उनका कहना था कि शाहजहां ने इस ऐतिहासिक इमारत को वक्फ के अंतर्गत किया था। हालांकि, कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से इस दावे के प्रमाण मांगे, लेकिन बोर्ड इसे प्रमाणित नहीं कर सका। इस प्रकार के दावे न केवल ऐतिहासिक स्थलों के महत्व को कम करते हैं, बल्कि समाज में तनाव भी उत्पन्न करते हैं।
वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 की धारा 40 और इसका दुरुपयोग
1995 में वक्फ कानून लागू हुआ था, जिसमें धारा 40 waqf board को विशेष अधिकार देती है। इस धारा के तहत, वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित कर सकता है, यदि उसे लगता है कि वह संपत्ति वक्फ के अंतर्गत आती है। इस धारा का कई बार दुरुपयोग भी हुआ है, जिसमें बिना पर्याप्त प्रमाण के संपत्तियों को वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया है।
यह धारा वक्फ बोर्ड को अत्यधिक शक्तिशाली बनाती है, जिससे बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों पर दावा कर सकता है। इस प्रक्रिया में न तो स्थानीय प्रशासन से कोई अनुमति लेनी पड़ती है और न ही संपत्ति के मौजूदा मालिक की सहमति की आवश्यकता होती है। यह धारा न केवल विवादों को जन्म देती है, बल्कि संपत्ति के मालिकों के अधिकारों का हनन भी करती है।
सरकार का नया बिल और प्रस्तावित बदलाव (waqf board amendment bill 2024)
हाल ही में सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों को सीमित करने के लिए एक नया बिल पेश किया है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्ड द्वारा किए जाने वाले दावों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इस बिल के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जो वक्फ बोर्ड की शक्ति को नियंत्रित करेंगे और मनमानी दावों पर रोक लगाएंगे।
नए बिल में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब वक्फ बोर्ड द्वारा की गई किसी भी संपत्ति के दावे की जांच करने का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। कलेक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्ति वास्तव में वक्फ की है या नहीं। यदि कलेक्टर को इस दावे में कोई गड़बड़ी लगती है, तो वह इसे खारिज कर सकते हैं। इस बदलाव से वक्फ बोर्ड की मनमानी पर रोक लगेगी और संपत्तियों के दावे अधिक पारदर्शी हो सकेंगे।
इसके अलावा, वक्फ बोर्ड में अब महिलाओं और अन्य धर्मों के सदस्यों की भी एंट्री सुनिश्चित की गई है। यह कदम वक्फ बोर्ड के कामकाज में विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, अब वक्फ बोर्ड केवल उन्हीं जगहों पर दावा कर सकेगा जो उन्हें दान में प्राप्त हुई होंगी। इसका मतलब है कि वक्फ बोर्ड अब किसी भी जगह को मनमाने तरीके से अपनी संपत्ति घोषित नहीं कर सकेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया और चिंताएं
नए बिल के प्रति विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही है। मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का विरोध करते हुए सरकार से विचार-विमर्श की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने बिना उनसे चर्चा किए यह बिल पेश किया है, जो उनके धार्मिक अधिकारों का हनन है। विपक्षी दलों ने सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए हैं और इसे एक राजनीतिक कदम बताया है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि इस बिल का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। यह बिल वक्फ बोर्ड की शक्ति को नियंत्रित करेगा और संपत्ति के विवादों को कम करेगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस बिल का उद्देश्य किसी भी धार्मिक समुदाय के अधिकारों का हनन करना नहीं है, बल्कि यह देश में संपत्ति विवादों को हल करने का एक प्रयास है।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल बोर्ड के अधिकारों पर लगाम कसने के लिए सरकार द्वारा पेश किया गया यह नया बिल एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल वक्फ बोर्ड की शक्ति को नियंत्रित करेगा, बल्कि संपत्ति के विवादों को भी कम करेगा। इस बिल के माध्यम से सरकार वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहती है, जो कि लंबे समय से अनदेखी हो रही थी।