हाल के दिनों में इजराइल (Israel) और फ्रांस (France) के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया है। इसका केंद्र बिंदु इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन के बीच की तकरार है। 7 अक्टूबर के दिन से जुड़े हमास के हमले और इजराइल के जवाबी कार्रवाई के एक साल बाद, अब यह संघर्ष फ्रांस तक पहुँच गया है।

फ्रांस और इजराइल के बीच हालिया विवाद
इजराइल और हमास के बीच पिछले एक साल में कई घटनाएँ घटीं, जिनमें हजारों लोगों की जान गई। इस बीच, फ्रांस ने इजराइल पर हथियारों की आपूर्ति रोकने की मांग उठाई, जिससे नेतन्याहू भड़क उठे। फ्रांस के लेबनान स्थित एक गैस स्टेशन पर इजराइल द्वारा हमला करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
लेबनान-फ्रांस-इजराइल त्रिकोणीय संबंध
लेबनान और फ्रांस के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद से ही चले आ रहे हैं। लेबनान में फ्रांसीसी कंपनी टोटल एनर्जी के गैस स्टेशन पर हमला इस बात का संकेत है कि इजराइल अब लेबनान में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। इजराइल का हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई भी फ्रांस के हितों के खिलाफ मानी जा रही है।
नेतन्याहू का तीखा बयान
फ्रांस के राष्ट्रपति पर नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के तीखे बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से कहा कि इजराइल सात मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है, जिसमें गाजा, लेबनान, ईरान जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इजराइल अपने आत्मरक्षा के अधिकार से पीछे नहीं हटेगा, चाहे फ्रांस समर्थन करे या न करे।
फ्रांस की स्थिति और प्रतिक्रिया
फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने मध्य पूर्व का दौरा करके स्थिति को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन इजराइल की कड़ी प्रतिक्रिया से तनाव कम होने के बजाय बढ़ गया है। फ्रांस ने कहा है कि वह इजराइल का स्थायी मित्र है, लेकिन हथियारों की आपूर्ति पर उसकी नीति अब बदल सकती है।
इजराइल और फ्रांस के बीच यह बढ़ता तनाव वैश्विक स्तर पर एक नए विवाद को जन्म दे सकता है। जहां एक तरफ इजराइल अपनी सुरक्षा और आत्मरक्षा को सर्वोपरि मानता है, वहीं फ्रांस अपने पुराने संबंधों और मध्य पूर्व में अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठा रहा है। आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि यह टकराव किस दिशा में जाता है।