क्या भारत से खत्म होने वाला है आरक्षण?

India हमारे देश के राजनेता लोकसभा चुनाव 2024 में अपने-अपने भाषणों में कह रहे हैं कि बीजेपी Reservation खत्म करना चाहती है और BJP कह रही है अरे भाई हमने यह बोला ही नहीं है तो यह मामला कहां से शुरू हुआ क्या पूरी कहानी है और तो और भारत में रिजर्वेशन आया कैसे रिजर्वेशन को लेकर संवैधानिक उपबंध क्या है रिजर्वेशन हटाने की बारे में सरकारी मंशा क्या है और जो अमित शाह जी का वीडियो वायरल हो रहा है उसकी सच्चाई क्या है आईये जानते है-

अमित शाह जी का एक वीडियो लगातार सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा है जिसमें कि Amit Shah जी कहते हुए सुनाई पड़ रहे हैं कि अगर बीजेपी की सरकार बनेगी तो असंवैधानिक एससी/एसटी, ओबीसी के रिजर्वेशन को समाप्त कर देगी।

जब यह बात आई तो निश्चित ही राहुल गांधी( Rahul Gandhi) जी ने इसको तुरंत लपक लिया और कहा कि यह आरक्षण खत्म करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी काम कर रही है Election में यह मामला गरमा गया है राहुल गांधी जी इस वीडियो की वजह से रिएक्शंस दे रहे हैं कि चुनाव के माध्यम से BJP जब जीत कर आएगी तो उसका उद्देश्य होगा कि वह आरक्षण को खत्म कर देगें। आरक्षण को खत्म करने का क्या अमित शाह जी का यह बयान सच है या गलत तो जॉच से यह वीडियो फेक पाया गया है।

भारत में आरक्षण कैसे आया ,क्या अंग्रेजों ने कभी आरक्षण दिया था?

आरक्षण को खत्म करने की कोई तिथि है और आरक्षण क्यों जरूरी है आरक्षण जरूरी है भी या नहीं है इस सवाल का जबाब देते है-

India में Reservation की शुरुआत कव से हुई?

India में सबसे पहले जो ज्ञात इतिहास है Reservation का वह मिलता है ज्योतिराव फूले के द्वारा जी हां साथियों ज्योतिराव फूले जो कि समाज सुधारक के रूप में भारत में जब जन्मे तो उन्होंने समाज में व्याप्त जाति पात छुआछूत ऊंच नीच इसके खिलाफ सख्त से प्रतिक्रियाएं देना शुरू किया जब एक और वो शिक्षा को बढ़ावा दे रहे थे मानवता को बढ़ावा दे रहे थे एकेश्वरवाद को बढ़ावा दे रहे थे मूर्ति पूजा का विरोध कर रहे थे वहीं एक और वह ब्राह्मण सोसाइटी के खिलाफ भी अपनी तरफ से प्रतिक्रियाएं दे रहे थे कह रहे थे कि शादियों में पंडितो की क्या आवश्यकता है और ऐसी शादियां जिनमें पंडित के बिना फेरे डला है उनकी कानूनी मान्यता मिल जाए ।इस बात को जांचने के लिए ब्रिटिशर्स ने हंटर कमीशन का गठन किया और और आरक्षण को लेकर के इन्होंने अपनी तरफ से मुहिम छेड़ी ज्योतिराव फूले के द्वारा छेडी गई इस मुहिम के चलते आरक्षण व्यवस्था को लेकर के चर्चाएं होना शुरू हुई हंटर कमीशन का गठन हुआ और ब्राह्मण और पुरोहित के विवाद के जो विवाह हैं उन्हें मुंबई कोर्ट से मान्यता दिलवाई गई कि इनके बिना भी अगर कोई विवाह करता है तो उन्हें मान्यता दी जाए खैर इस इतिहास से थोड़ा आगे बढ़ते हैं वर्ष 1901 में महाराष्ट्र की कोल्हापुर रियासत में साहू जी महाराज के द्वारा आरक्षण की शुरुआत की गई कहते हैं कि आरक्षण को लेकर यह पहला सरकारी आदेश था जो साहू जी महाराज के द्वारा दिया गया

अंग्रेजों के द्वारा Reservation की शुरुआत

 1908 में अंग्रेजों ने भी प्रशासन में उन लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास किया जिनकी हिस्सेदारी प्रशासन में कम थी या न के बराबर थी अर्थात अंग्रेजों ने भी आरक्षण की व्यवस्था 1908 तक पहुंचते पहुंचते शुरू कर दी । अंग्रेजों को यह समझ में आ चुका था कि भारत के अंदर सामाजिक भेदभाव बहुत है छुआछूत है ऊंच नीच ह,ै वर्ग संघर्ष है और जहां तक अंग्रेजों का प्रभाव है वहां तक भारत में जमीदारी सामंती प्रथा बहुत तेजी से पनप चुकी है। अत्याचार और शोषण गरीबों ,दलितों, पिछड़ों का बहुत हो रहा था। इसी बीच में भारत के अंदर कुछ राजनीतिक प्रक्रम चल रहे थे 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन कर दिया और बंगाल के दो हिस्से कर दिए पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल। जिसके विरोध में भारत में और विशेष रूप से बंगाल में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए बंगाल का विभाजन रद्द करने को लेकर स्वदेशी आंदोलन हुआ अंग्रेजों ने पहली बार इतना बड़ा आंदोलन 1857 के बाद इंडिया में होता हुआ देखा था इस आंदोलन को दबाने के लिए उन्होंने कुछ तरीके चले उन्होंने कहा कि विभाजन से किसी को तो लाभ हुआ होगा तो लाभ तलाशने के लिए वह पहुंचे मुसलमानों के पास और मुसलमानों के पास जब वह लाभ तलाशने के लिए पहुंचे तो उन्हें समझ में आया कि जो पूर्वी बंगाल वाला हिस्सा है जिसे आज आप पाकिस्तान कहते हैं ,इस पर मुसलमानों को वर्चस्व है तो क्यों ना इनसे कहा जाए कि तुम्हें कुछ लाभ हुआ हो तो आओ और कहने आओ कि हां हमें कुछ लाभ हुआ है तो इसीलिए बंगाल में ढाका के नवाब के नेतृत्व में आगा खा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल अंग्रेजों को थैंक यू कहने पहुंचता है और कहता है सर हमने तो अभी तक कांग्रेस बनती देखी थी कि कांग्रेस को अंग्रेजों ने बनाया है आप लोगों ने हमारे लिए एक राज्य घोषित कर दिया आपका बहुत धन्यवाद हमें आज्ञा दें और हमें बताएं कि हम अपने लिए क्या कर सकते हैं तो अग्रेजो ने कहा कि  जाओ और अपने लिये एक पार्टी बनाओ पार्टी का नाम रखा गया मुस्लिम लीग । कहते हैं साथियों कि अंग्रेजों के द्वारा ही कांग्रेस की स्थापना करवाई गई थी अंग्रेजों के द्वारा ही मुस्लिम लीग की स्थापना करवाई गई ।कांग्रेस की स्थापना में जो प्रमुख भूमिका निभाने वाले व्यक्ति एओ हूम थे वो एक अंग्रेज थे , खैर आगे बढ़ते हैं मुस्लिम लीग की स्थापना अंग्रेजों के द्वारा कर दी जाती है यह वही मुस्लिम लीग है जिसने आगे चलके भारत का विभाजन कराया था 1906 में हुई इस मुस्लिम लीग की स्थापना भारत में धीरे-धीरे सांप्रदायिकता का रंग दे रही थी अब तक भारत में सांप्रदायिकता का कोई भी बड़ा उदाहरण देखते हुए नहीं मिल रहा था। यानी कि कोई एक धर्म के लिए कोई संघर्ष कर रहा हो ऐसा कोई बड़ा उदाहरण नहीं देखने को मिल रहा था आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि जब स्वदेशी आंदोलन हुआ अमार सोनार बांगला वंदे मातरम ये वो चीजें थी भारत में लोगों ने हिंदुओं ने मुसलमानों को पूर्वी बंगाल वालों ने पश्चिमी बंगाल वालों को राखियां बांधी थी गीत गाए थे और कहा था कि अंग्रेजों तुम हमें अलग नहीं कर सकते कोई बात नहीं साहब 1906 में अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग को मोटिवेट कर दिया । अब अंग्रेजों को ये समझ में आ गया था कि फूट डालो और राज करके ही आगे बढ़ा जा सकता है और इस फूट डालो राज करने की नीति को ही अपनाते हुए अंग्रेजों ने फिर एक वार वर्ष 1909 के अंदर मारले मिंटो शासन अधिनियम ले आए, मार्ले मिंटो जो शासन अधिनियम था उसमें अंग्रेजों ने मुसलमानों को प्रसन्न करते हुए कहा कि अब से चुनावों में मुसलमान केवल मुसलमानों को वोट देगा और मुसलमानों की बात मुसलमान ही रखेंगे इसके विरोध स्वरूप कांग्रेस ने जबरदस्त विरोध किया लेकिन कांग्रेस इस समय खुद से ही लड़ रही थी कि इस स्वदेशी आंदोलन को जो 1905 में शुरू हुआ था इसे संपूर्ण देश में फैलाएं कि एक जगह निर्धारित करके रखें इस बात को लेकर कांग्रेस के दो धड़े बन गए जिन्हें कि नरम दल और गर्म दल के नाम से जाना गया और 1907 में कांग्रेस का सूरत में विभाजन हो जाता है जिसे सूरत स्प्लिट के नाम से जानते हैं । अंग्रेज फूट डालने में कांग्रेस में भी कामयाब हुए जो कुछ क्रांतिकारी विचार के कांग्रेसी थे वह गर्म दल के नेता लाल बाल पाल कहलाए और बाकी जो पुराने कांग्रेसी थे वह नरम दल के नेता कहलाए, 1907 में जहां एक और कांग्रेस का विभाजन हो गया 1906 में जहां मुस्लिम लीग का उद्घाटन हो गया और 1909 के अंदर अंग्रेजों द्वारा मुस्लिमों को बढ़ावा देते हुए उनके लिए एक अलग मुस्लिम लीग की मान्यता और साथ ही साथ मुसलमानों को मुसलमान ही वोट देंगे सेपरेट इलेक्टोरेट्स कर दिया।

1919 के अंदर मांटेग्यू चेम्सफोर्ड शासन अधिनियम के अंदर या भारत शासन अधिनियम के अंदर अंग्रेजों ने भारत में जो मुसलमानों को सेपरेट इलेक्टरेट यानी कि मुसलमान मुसलमान को वोट देगा ऐसा ही अब सिख सिख को ही वोट देगा, एंग्लो इंडियन एंग्लो इंडियन को ही वोट देगा ऐसा करके उन्होंने इन कैटेगरी में भी सेपरेट इलेक्टोरेट्स बना दिये।  निर्वाचन के लिए अब मुसलमानों की तरह और लोगों का भी प्रतिनिधित्व होने लगा क्या आपको अब यह नहीं लगता कि जहां भारत पहले तक एक था अब उस एक भारत में से पहले मुस्लिमों को अलग किया अब सिखों को अलग कर दिया क्रिश्चियंस को अलग कर दिया एंग्लो इंडियंस को अलग कर दिया यूरोपियन को अलग कर दिया और ये सब लोग खुश है कि हमारा प्रतिनिधि संसद में बैठेगा हमें औरों से मतलब नहीं है एक बड़ी कम्युनिटी जो अभी तक सारे भारतीय के नाम से जानी जाती थी अब उस भारत में हिंदू वर्सेस रेस्ट होने लगा था। और साथ में अंग्रेजों ने यह भी कहा कि 1919 में जो हमने फैसले लिए हैं इसकी समीक्षा अगले 10 साल बाद करेंगे ।1919 का दौर निकला 1919 के बाद से 10 साल बाद 1929 में 1919 में की गई व्यवस्था का रिव्यू करने के लिए अंग्रेज आने वाले थे और अंग्रेजों ने 10 साल की जगह 1927 में ही साइमन की अध्यक्षता में एक साइमन आयोग इंडिया भेज दिया और वो साइमन आयोग यह चेक करने आया था कि जो 1919 में हमने व्यवस्था दी थी वो सही है या फिर उसमें कुछ और परिवर्तन करना है। भारत में कांग्रेस के नेतृत्व में उस समय साइमन गो बैक के नारे लगे साइमन वापस जाओ साइमन गो बैक के नारे लगे अंग्रेजों का विरोध करते समय लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज हुआ और उस लाठी चार्ज में उनकी मौत हो गई ।

दुसरी राउण्ड टेबल में अंबेडकर साहब ने वहां पर अपने लिए सेपरेट इलेक्टोरेट मांग लिया कहा कि दलितों को भी मुसलमानों सिखों क्रिश्चियंस के समान ही सेपरेट इलेक्टोरेट्स दलितों को भी दिये जाये। 22 दिसम्बर को अंबेडकर साहब गांधी जी से मिलने यदवरा जेल पुणे पहुंचते हैं गांधी जी के सेक्रेटरी थे महादेव देसाई उनके नोट्स के मुताबिक अंबेडकर ने कहा कि वे दलितों के लिए पॉलिटिकल पावर चाहते हैं यह उनकी बराबरी के लिए जरूरी है

24 सितंबर को शाम 5.00 बजे पुना पैक्ट पर 23 लोगों ने हस्ताक्षर किया हिंदुओं और गांधी की तरफ से मदन मोहन मालवीय ने इस पैक्ट पर हस्ताक्षर किए वहीं दलितों की तरफ से अंबेडकर ने साइन किए

अंबेडकर साहब 10 साल के लिए राजी हुए क्या है जरा ध्यान से सुन लीजिएगा दलित समेत सभी हिंदू उम्मीदवार वोट करेंगे हिंदुओं और दलितों के बीच अंतर को खत्म करने के लिए टाइम लिमिट पर 10 साल की पाबंदी लगाई गई शुरुआत में महात्मा गांधी जी 5 साल के लिए ही अड़े हुए थे यह क्या कहानी है तय यह हुआ कि अलग से प्रतिनिधित्व की मांग क्यों की जाए क्यों यह कहा जाए कि दलित दलित को वोट देगा क्यों ना यह किया जाए कि हम दलितों के लिए कुछ सीट ही रिजर्व कर देते हैं जहां पर दलित उम्मीदवार खड़ा होगा और दलित उम्मीदवार को एक सामान्य व्यक्ति भी वोट देगा जनरल कैटेगरी का व्यक्ति भी वोट देगा और उसे अपना नेता चुनेगा क्यों ना ऐसा किया जाए कि कुछ क्षेत्र जहां पर दलितों का प्रभाव है दलित संख्या में ज्यादा है वहां पर कुछ कम संख्या में अगर सामान्य जाति के लोग भी हैं तो ऐसी स्थिति में उनका नेता दलित ही बने सब वोट एक ही आदमी को क्यों ना दें दलित ही दलित को क्यों दे हम सबके लिए और साथियों यहीं से आरक्षण की शुरुआत हुई।

देश में जो जाति का विभाजन है वैदिक काल में वह कर्म के आधार पर था अगर कोई पठन पाठन का कार्य कर रहा है तो उसे ब्राह्मण कहा गया अगर कोई देश सेवा का कार्य कर रहा है तो उसे क्षत्रिय कहा गया अगर कोई एग्रीकल्चर का काम कर रहा है तो शूद्र कहा गया व्यापार का काम कर रहे है तो वैश्य कहा गया ऐसी स्थिति में जब ये चीजें वंशानुगत होने लगी तब जाकर पोष्ट वैदिक काल में जाति प्रथा का जन्म हो गया कि पंडित ने कहा कि मेरा बेटा पंडित ही बनेगा अब मैं इस चीज को किसी और को नहीं दूंगा क्षत्रिय ने कहा कि मेरा बेटा रक्षा संभालेगा तो यह वंशानुगत होने लगा धीरे-धीरे जो तय की गई व्यवस्था थी अब वो जन्म के आधार पर होने लगी वंशानुगत होने लगी पहले कर्म के आधार पर थी अब वो जन्म के आधार पर होने लगी तो गांधी जी ने खुद आकर के फिर हरिजन उत्थान के लिए कार्य करने शुरू किए और उन्होंने खुद ने हरिजनों के साथ मिलकर के सफाई करने का काम शुरू किया

आजादी के बाद भारत में आरक्षण

1942 के अंदर बीआर अंबेडकर साहब द्वारा अनुसूचित जातियों की उन्नति के लिए अखिल भारतीय दलित वर्ग महासंघ की स्थापना की गई । 1947 में आजादी मिल गई एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए कई अहम फैसले लिए गए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए केलकर आयोग की स्थापना 1953 में हुई रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचियों के अंदर संशोधन किया गया 1979 में मंडल कमीशन स्थापित किया गया 1982 में सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में 15 फीसदी एससी के लिए और 75 फीसदी एसटी के लिए रिजर्वेशन दे दिया गया। 1990 के अंदर वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करते हुए 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दे दिया।

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