हाल ही में एक चर्चा भारत भर में बनी हुई थी कि India से बड़ी संख्या में लोग दुबई और सिंगापुर जाकर रहने जा रहे हैं । 6500 से अधिक मिलेनियर एक ही साल के अंदर भारत छोड़ कर विदेश चले गए हैं ।

यह चर्चा का विषय है कि क्या भारतीयों का देश छोड़कर जाना सकारात्मक है क्या यह India के लिए फायदे की बात है। इसके पीछे की चर्चा करते हैं क्योंकि हाल ही में एक रिपोर्ट 2024 आई है और यह रिपोर्ट भी किसी छोटी-मोटी एजेंसी ने नहीं इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (International Organization for Migration) के द्वारा निकाली गई है। जिसमें कहा गया है कि भारत दुनिया का पहला देश है जिसने 100 बिलियन डॉलर का रेमिटेंसेस(Remittance) प्राप्त करने का आंकड़ा क्रॉस कर दिया है और यह दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने इतना जबरदस्त Remittance प्राप्त किया है।
नंबर वन रेमिटेंस बना भारत और इसका मतलब क्या होता है
विदेश में रहने वाले लोग जब विदेशी अपने देश में संप्रेषित करते हैं धन को तो उसे आप रेमिटेंस( Remittance) कहते है। रेमिटेंस है Money That is Send From One Country to Another Country तो Foreign Remittance के नाम पर विदेशों से रहने वाले लोग जब अपने देश में पैसा भेजते हैं तो उसे फॉरेन रेमिटेंस(Foreign Remittance) के नाम से जानते हैं। और रेमिटेंस प्राप्त करने में इंडिया नंबर वन बन गया है इससे Definitely( हमें फायदे होंगे ,लेकिन भारत से जो बड़ी संख्या में बाहर रहने चले गए क्या उसकी वजह से यह सब हुआ। 2022 में जो प्रवासी भारतीय हैं इन्होंने 11.22 बिलियन डॉलर यानी लगभग 9.28 लाख करोड़ रुपया अपने देश में भेजा है। मतलव भारत 100 बिलियन डॉलर क्रॉस करने वाला यह पहला देश बन गया है और यह जानकारी इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन ने अपनी रिपोर्ट 2024 लेकिन आंकड़े 2022 के बताए हैं ।इस लिस्ट के अंदर दूसरे नंबर पर मेक्सिको है और मेक्सिको ने चीन को पछाड़ कर यह अंक हासिल किया है । अब आपके दिमाग में एक सवाल आया होगा कि यह लोग कौन है जो भारत में पैसा भेज रहे हैं तो यह वह लोग हैं जो कभी देश छोड़कर दूसरे देश में काम की तलाश में चले गए थे जिन्हें आप माइग्रेंट्स कह सकते हैं जो दूसरे देश के अंदर जाकर नौकरी करने चले गए थे।
यूएई,दुबई या फिर अबू धाबी जो सात अमीरात से मिलकर बना हुआ है यहॉ 34 लाख भारतीय रहते हैं ,यूएसए में 1280000 भारतीय , कनाडा 178000 भारतीय रहते हैं।
यहॉ यूएई के अंदर सबसे ज्यादा भारतीय दिख रहे है। फिर सऊदी अरब में आपको सबसे ज्यादा नंबर दिख रहा है यह जो गल्फ कंट्रीज है यह भारतीय लोगों को अपनी नागरिकता देते ही नहीं है। यूएई के अंदर कुल एक करोड़ की आबादी है उसमें से 34 लाख भारतीय हैं मतलब यहां हर तीसरा आदमी इंडियन है यहां ड्राइवर से लेकर कंपनी के मालिक से लेकर जहाज के मालिक से लेकर जहाज के सर्वेंट से लेकर बड़ी बिल्डिंग के मालिक से लेकर जो देखोगे वहां आपको इंडियन दिख जाएगा। ऐसी स्थिति में भी इंडियंस को यहां सिटीजनशिप नहीं है इसलिए यह नंबर सबसे ऊपर दिखता है वही अमेरिका में अगर आप देखें तो यह जो 1280000 दिख रहा है वह केवल जो भारतीय अमेरिका में काम करने के लिए गए हैं अभी इन्हें सिटीजनशिप(Citizenship) नहीं मिली तो इनका पूरा पैसा इंडिया का पैसा Consider किया जाता है अगर इन्हें वहां की नागरिकता मिल गई तो इन लोगों को उस देश के नागरिक माना जाता है और इनका पैसा उसी देश का हो गया मतलब यह समझिए कि इंडिया से जो काम करने कामगार बाहर गया हुआ है उसका पैसा हमारा है जो बाहर जाकर वहीं का नागरिक बन गया जिसने भारत का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया फिर वोह पैसा उस देश का हो गया जिसका उसने पासपोर्ट ले लिया। कनाडा के अंदर इतने भारतीय वहां पर रह रहे हैं उसमें से केवल 178000 लोग ऐसे हैं जिनके पास भारत का पासपोर्ट है बाकी सबने कनाडा की सिटीजनशिप ले ली।
जहां भारत 2010 में 53.4 बिलियन डॉलर पर था आज हम लोग यहां पर 11.22 बिलियन डॉलर 2022 में ले चुके हैं, मात्र 12 सालों में हमने डबल रेमिटेंसेस प्राप्त कर लिया हैं
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट
बैक से बैंक में पैसा जा रहा है तो उसका विवरण वताता है। वर्ल्ड बैंक के बताया कि इंडिया ने 2023 में 125 बिलियन डॉलर अर्न किया है और 2024 के अंदर 135 बिलियन डॉलर अर्न करने वाला है यह वर्ल्ड बैंक का डाटा है।
कुछ लोग कहेगें कि इंडिया में रोजगार नहीं था इसलिए यह लोग बाहर काम करने गए अगर इंडिया में रोजगार होता तो यहां पर यह लोग बढ़िया तरीके से काम कर रहे होते और यहां से इन्हें बाहर काम करने की जरूरत ही ना पड़ती । हालांकि यह बात सत्य है कि बड़ी संख्या में लोग बाहर इसलिए जाते हैं कि इंडिया में रोजगार नहीं है बिल्कुल सही है लेकिन एक बात औरं आपको बताना चाहेगें कि अगर आप इस बात से परहेज करने लगे कि बाहर नौकरी करना बुरा है तो फिर तो आप को इस बात से भी परहेज होना चाहिए जो भारत के अंदर विदेशी मुद्रा भंडार एफडीआई के रूप में आता है फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट(Foreign Direct Investment) आता है अब आप पूछेंगे यह क्या बात कर रहे हो ।जब तक किसी भी देश में दूसरा देश इंटरेस्ट नहीं लेगा तब तक उसकी Economy कुछ भी नहीं रहेगी एक बार के लिए सोचो इंडिया के अंदर जितने भी लोग हैं वो खुद से पैदा करें मान लो कि इसने सब्जी पैदा की, दूसरे ने कपड़े पैदा किये तीसरे ने दुकान खोल ली सब कुछ एक दूसरे के साथ पैसो का लेनदेन कर लिया गया ऐसी स्थिति के अंदर पैसा तो फिर एक ही जगह रह गया। यहां पर सभी देश रेमिटेंसेस प्राप्त करके अपनी इकॉनमी (Economy) को फायदा पहुंचाते हैं