RESERVATION: भारत में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST RESERVATION के संदर्भ में एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले ने न केवल आरक्षण के महत्व को फिर से स्थापित किया है बल्कि सामाजिक असमानताओं को दूर करने के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम की जरूरत को भी स्पष्ट किया है। सुप्रीम कोर्ट इन दिनों अपने ही फैसले पलटने में बिजी चल रही है।2004 में 05 जजेस का फैसला था उसको पलटकर अब 2024 में सात जजेस की बेंच ने एक फैसला सुनाया और उस फैसले में एससी/एसटी के अंदर सब कैटेगरी RESERVATION को परमिट कर दिया है।

आरक्षण (RESERVATION) का महत्व
आरक्षण (RESERVATION) का उद्देश्य हमेशा से ही समाज के पिछड़े वर्गों को समान अवसर प्रदान करना रहा है। एससी/एसटी समुदाय, जो ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े रहे हैं, उन्हें शिक्षा, नौकरी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह न केवल एक संवैधानिक अधिकार है बल्कि एक सामाजिक न्याय की नीति भी है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि आरक्षण (RESERVATION) का उद्देश्य केवल प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना नहीं है, बल्कि इन समुदायों को मुख्यधारा में लाना है। इस फैसले में कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में SC/ST के लिए आरक्षण की प्रणाली को बरकरार रखा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरक्षण (RESERVATION) का लाभ केवल उन्हीं को मिलना चाहिए जो वास्तव में इसके पात्र हैं, जिससे इसका सही उपयोग हो सके।
फैसले के प्रमुख बिंदु
- आरक्षण की समीक्षा: सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि आरक्षण (RESERVATION) की समीक्षा समय-समय पर होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका लाभ सही लोगों तक पहुँच रहा है।
- आरक्षण की सीमा: कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए, जिससे कि सामान्य वर्गों के साथ न्याय किया जा सके।
- विस्तारित आरक्षण: कुछ विशिष्ट स्थितियों में, राज्य सरकारें आरक्षण की सीमा को बढ़ाने का अधिकार रखती हैं, बशर्ते कि इसके लिए पर्याप्त कारण और प्रमाण हों।
सामाजिक न्याय की दिशा में कदम
यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल एससी/एसटी समुदायों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास है बल्कि सामाजिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है। इस फैसले ने यह भी स्पष्ट किया है कि आरक्षण केवल एक अस्थायी समाधान नहीं है, बल्कि एक स्थायी सामाजिक सुधार का हिस्सा है।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालांकि, इस फैसले के बावजूद, कई चुनौतियाँ सामने हैं। आरक्षण का सही लाभ सही लोगों तक पहुँचाना एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, आरक्षण की प्रणाली में सुधार और इसकी समीक्षा भी आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह नीति अपने मूल उद्देश्य को पूरा कर रही है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल आरक्षण की प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह फैसला एक उदाहरण है कि कैसे न्यायपालिका समाज के पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही है। यह समय की मांग है कि हम सभी मिलकर सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में प्रयास करें और इस फैसले को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएं।