Pakistan: पाकिस्तान में हाल ही में राजनीतिक अस्थिरता और इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इस्लामाबाद के डी-चौक, जो वहां का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है, प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

डी-चौक: प्रदर्शनकारियों का मुख्य गंतव्य
डी-चौक इस्लामाबाद का महत्वपूर्ण स्थान है, जहां सुप्रीम कोर्ट, नेशनल असेंबली, प्रधानमंत्री आवास, और कई विदेशी दूतावास स्थित हैं। इमरान खान के समर्थक इस स्थान पर कब्जा जमाने की कोशिश में हैं, जिससे पाकिस्तान सरकार चिंतित हो गई है।
पृष्ठभूमि: इमरान खान की गिरफ्तारी और 26वां संविधान संशोधन
इमरान खान की गिरफ्तारी और हाल ही में पारित 26वें संविधान संशोधन ने देश में विरोध प्रदर्शन को हवा दी। इस संशोधन के तहत पाकिस्तान की संसद को न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया है। इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया जा रहा है।
इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ कदम बताते हुए एक महीने का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने न केवल अपनी रिहाई बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बहाली को लेकर आंदोलन छेड़ दिया है।
सऊदी अरब और अमेरिका के साथ विवाद
इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीवी ने सऊदी अरब पर तीखे आरोप लगाए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। बुशरा बीवी ने इमरान की मक्का-मदीना यात्रा के दौरान सऊदी सरकार द्वारा की गई नाराजगी को लेकर गंभीर बयान दिया, जिससे पाकिस्तान सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
सरकार की प्रतिक्रिया: प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग
सरकार ने डी-चौक पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ‘देखते ही गोली मारने’ का आदेश जारी किया है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में कई लोग घायल हुए हैं, और कुछ की मौत भी हुई है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, और इस्लामाबाद पूरी तरह लॉकडाउन में है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस घटनाक्रम की निंदा की है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
प्रदर्शन का असर और भविष्य की स्थिति
इमरान खान समर्थकों का यह आंदोलन केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर गहराई से जुड़े मुद्दों को उजागर करता है। यह देखना बाकी है कि यह आंदोलन पाकिस्तान की राजनीति और न्यायिक प्रणाली को कैसे प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति केवल एक राजनेता की रिहाई तक सीमित नहीं है। यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और जनता के अधिकारों की रक्षा का भी सवाल है। इमरान खान के समर्थक और सरकार के बीच यह टकराव पाकिस्तान की भविष्य की राजनीति को नई दिशा दे सकता है।
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