Nalanda: भारत के एक प्राचीन और महान शिक्षण संस्थान नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) न केवल भारत का गौरव है बल्कि विश्व धरोहर में भी शामिल है। नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण और इसका पुनः उद्धार हमारे इतिहास और संस्कृति की पुनःप्राप्ति का प्रतीक है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया।

नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) का इतिहास
स्थापना और प्रारंभिक दौर
नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) की स्थापना लगभग 1600 साल पहले गुप्त वंश के राजा कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह विश्वविद्यालय भारत के इतिहास में एक अद्वितीय शिक्षण संस्थान के रूप में जाना जाता है। नालंदा विश्वविद्यालय ने शिक्षा की अनेक शाखाओं का अध्ययन और अनुसंधान किया, जिसमें विज्ञान, गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष, और भाषाओं का अध्ययन शामिल था।
प्राचीनता और ख्याति
इस विश्वविद्यालय में शिक्षा की अनेक शाखाओं का अध्ययन होता था। यहाँ की शिक्षा प्रणाली इतनी उन्नत और समृद्ध थी कि यहाँ अध्ययन करने के लिए न केवल भारत के विभिन्न कोनों से, बल्कि चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड जैसे देशों से भी विद्यार्थी (Students) आते थे। यह विश्वविद्यालय अपने समय का सबसे बड़ा और प्रमुख शिक्षा केंद्र था।
विद्यार्थियों (Students) की संख्या
एक समय में यहाँ 1500 से अधिक शिक्षक और 10,000 से अधिक विद्यार्थी (Students) हुआ करते थे। यह संख्या उस समय के किसी भी शिक्षण संस्थान के मुकाबले बहुत बड़ी थी। यहाँ के शिक्षक अपने-अपने विषयों के विशेषज्ञ थे और विद्यार्थियों को उच्चतम स्तर की शिक्षा प्रदान करते थे।
विदेशी छात्रों का आगमन
नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) में चीन के प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग ( और इत्सिंग ने भी अध्ययन किया था। उनके लेखों से हमें नालंदा की शिक्षण प्रणाली और यहाँ के जीवन के बारे में बहुत सी जानकारी मिलती है। इन यात्रियों ने नालंदा की शिक्षण प्रणाली की प्रशंसा की और इसे विश्व का सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान बताया।
बख्तियार खिलजी का आक्रमण
बर्बादी का दौर
1193 में बख्तियार खिलजी ने इस महान शिक्षण संस्थान पर हमला किया और इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया। इस आक्रमण ने नालंदा विश्वविद्यालय को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया।
पुस्तकों की जलाना
कहा जाता है कि इस हमले में लगभग 90 लाख पुस्तकों को जला दिया गया था। यह आग तीन महीने तक जलती रही, जिससे नालंदा का संपूर्ण ज्ञान कोष नष्ट हो गया। यह घटना भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक मानी जाती है।
नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) का पुनर्निर्माण
पुनर्निर्माण का संकल्प
भारत सरकार और बिहार सरकार ने मिलकर इस प्राचीन विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण किया है। 2006 में, भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण के लिए एक विधेयक पारित किया। इसके बाद, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समर्थन से नालंदा का पुनर्निर्माण शुरू हुआ।
नई सुविधाएँ
नए नालंदा विश्वविद्यालय को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। इसमें नेट जीरो एमिशन बिल्डिंग, रिसाइकलिंग वाटर सिस्टम, और पौधारोपण शामिल हैं। यह संस्थान पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है, जिससे यह आधुनिक और टिकाऊ शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित हो सके।
प्रधानमंत्री का उद्घाटन
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री (PM NARENDRA MODI) ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। यह उद्घाटन नालंदा के पुनर्जन्म का प्रतीक है और हमारे प्राचीन ज्ञान और संस्कृति की पुनःप्राप्ति का संकेत है।
नालंदा की नई पहचान
वैश्विक महत्व
आज के समय में नालंदा विश्वविद्यालय एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में उभर रहा है। यहाँ विभिन्न देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और विभिन्न विषयों पर अनुसंधान कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों ने भी इसके निर्माण में सहयोग किया है। इन देशों के सहयोग से नालंदा विश्वविद्यालय एक अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित हो सका है।
शून्य और विज्ञान का योगदान
आर्यभट्ट द्वारा दिया गया शून्य का महत्व और यहाँ की गणित और खगोल विज्ञान की थ्योरी आज भी मान्य हैं। नालंदा विश्वविद्यालय ने विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है, जिसे आज भी विश्वभर में मान्यता प्राप्त है।
भविष्य की दिशा
शिक्षा का केंद्र
नालंदा विश्वविद्यालय फिर से एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है, जहाँ विभिन्न देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
संस्कृति और धरोहर का संरक्षण
नालंदा का पुनर्निर्माण हमारे सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और इसके वैश्विक पहचान को फिर से स्थापित करने का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण न केवल हमारे इतिहास की पुनः प्राप्ति है बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर का पुनरुत्थान है। यह हमें यह संदेश देता है कि ज्ञान की रोशनी कभी भी बुझाई नहीं जा सकती और यह हमारे समाज को हमेशा प्रगति की ओर ले जाएगी।