क्या सच में तापमान 50°C से कम है? सरकार कैसे नापती है तापमान(Temperature)?

तापमान (Temperature): गर्मी का मौसम अपने चरम पर है और हर कोई इसका अनुभव कर रहा है। तापमान के रिकॉर्ड टूट रहे हैं और लोगों को हीट स्ट्रोक हो रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में 52.3°C तापमान दर्ज किया गया, जिससे मौसम विभाग ने इसे गलत बताया। लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या सरकार तापमान को सही तरीके से नापती है?

तापमान (Temperature) नापने की विधि:

तापमान नापने के लिए विभिन्न उपकरण और विधियाँ होती हैं। सरकार और मौसम विभाग स्टीवेंसन स्क्रीन का उपयोग करते हैं, जो कि जमीन से 45 फीट की ऊँचाई पर रखी जाती है। यह स्क्रीन एक प्रकार का बॉक्स होता है जिसमें चार थर्मामीटर लगे होते हैं – ड्राई बल्ब थर्मामीटर, वेट बल्ब थर्मामीटर, मैक्सिमम तापमान थर्मामीटर और मिनिमम तापमान थर्मामीटर। इस विधि से तापमान का मापन अधिक सटीक होता है। एक डब्बा बनाया जाता है और इस इसे स्टीवेंसन स्क्रीन के नाम से जाना जाता है और इसके अंदर तापमान को नापने के लिए इसे खुली जगह पर रख दिया जाता है खुली जगह पर क्या थर्मामीटर रख दिया जाता है हवा में लटका के नहीं सीधा सूरज की रोशनी के संपर्क में नहीं रखा जाता अगर सूरज की रोशनी के संपर्क में आप कोई भी वस्तु रखेगे तो उसका हीट बढ़ना शुरू हो जाता है तो इसलिए इसे एक प्रॉपर बॉक्स में रख कर रखा जाता है लकड़ी का एक बॉक्स होता है जहां पर इस चार थर्मामीटर का पूरा एक सेट बनाकर जमीन से 4 फीट की ऊंचाई पर रखा जाता है। लकड़ी का भी इसलिए बनाया जाता है ताकि लकड़ी जो है वो हीट को ट्रांसफर नहीं कर रही है।

4 फीट का लॉजिक क्या है जनरली ये माना जाता है कि एक वयस्क व्यक्ति 04 से तो ऊंची हाइट का होता ही है ,शरीर का हीट जो नीचे जमीन से निकलकर वापस रिफ्लेक्शन भी है वो हवाओं के माध्यम से जब एहसास आने लगे तो वह व्यक्ति को प्रभावित करने लगता है तो व्यक्ति को प्रभावित करने के लिए हवाओं का ही प्रभाव नापने के लिए इसे 4 फीट से ऊपर रखा जाता है

गाड़ियों और घड़ियों के तापमान सेंसर:

आजकल गाड़ियों और घड़ियों में तापमान सेंसिंग इंस्ट्रूमेंट्स लगे होते हैं, जो कभी-कभी 50°C से अधिक तापमान दिखाते हैं। लेकिन यह असली तापमान नहीं होता क्योंकि ये जमीन के करीब मापते हैं जहां गर्मी अधिक होती है।

तापमान मापने के विवाद:

लोग अक्सर सरकार पर संदेह करते हैं कि वह असली तापमान को छिपाती है। बीएसएफ के जवानों ने राजस्थान के रेगिस्तान में पापड़ को मिट्टी में सेकते हुए दिखाया, जिससे यह सवाल उठता है कि तापमान 45-50°C से अधिक हो सकता है। लेकिन यह तापमान जमीन का है, जबकि स्टीवेंसन स्क्रीन हवा का तापमान मापती है जो अधिक सटीक होता है।

गर्मी का प्रभाव और बचाव के उपाय:

हीट स्ट्रोक( Heat stroke) और अत्यधिक गर्मी से कई स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि मसल्स में थकावट, त्वचा की समस्याएँ, दिमाग पर असर, हार्ट स्ट्रोक, फेफड़ों पर प्रभाव, और किडनी पर असर। इससे बचने के लिए हमें पसीने के माध्यम से अपने शरीर को ठंडा रखना होता है। हमें पर्याप्त पानी पीना चाहिए, धूप से बचना चाहिए और घर के अंदर रहना चाहिए।

निष्कर्ष: तापमान नापने की वैज्ञानिक विधियों को समझना महत्वपूर्ण है। स्टीवेंसन स्क्रीन और विशेष थर्मामीटर का प्रयोग हमें सही तापमान मापने में मदद करता है। हीट स्ट्रोक से बचने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है। गर्मी के मौसम में सुरक्षित रहें और सही जानकारी प्राप्त करें।

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