हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक सार्वजनिक बैठक में स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने 1999 के लाहौर डिक्लेरेशन का उल्लंघन किया था। यानी कि भारत जो हमेशा दुनिया को यह कहता आया है कि पाकिस्तान हमेशा बॉर्डर पर इफिल्टर करता है जबरन पाकिस्तान के द्वारा भारत के साथ युद्ध करने का प्रयास किया जाता है इसको इन्होंने एक्सेप्ट किया और कहा कि हमने अटल जी की उस बात को उस समय नहीं माना था। आपको याद होगा यह वही दौर है जब अटल जी बस लेकर के फरवरी के अंदर तो गए थे पाकिस्तान और पाकिस्तान ने रिटर्न गिफ्ट में दो ही महीने के अंदर कारगिल युद्ध दे दिया था यह वही घटना है जिसको कि यह एक्सेप्ट कर रहे हैं । इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या अब भारत-पाक संबंधों में सुधार की संभावना है?

पृष्ठभूमि
1999 में, भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ लाहौर डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता दोनों देशों के परमाणु परीक्षणों के बाद उत्पन्न तनावपूर्ण माहौल को शांत करने का प्रयास था। फिलहाल नवाज शरीफ अपनी पार्टी के प्रेसिडेंट हैं इनके छोटे भाई वर्तमान में पाकिस्तान के पीएम हैं नवाज शरीफ अपनी पॉलिटिकल पार्टी के लीडर्स को याद दिला रहे हैं कि मेरे दौर में जब मैं पीएम हुआ करता था तब अटल जी लाहौर डिक्लेरेशन लेकर आए थे, और उन्होंने हमारे साथ समझौता किया, हम लोगों ने मिलकर टेबल टॉक किया कि अब आगे से हम एक दूसरे के प्रति शांति रखेंगे और उसके मात्र दो महीने बाद ही जो हमसे हुआ वह गलती थी गलती क्या थी कि इनके यहां पर परवेज मुशर्रफ सेना के जनरल हुआ करते थे उनके कहने पर यह मानकर कि India (भारत) अब शांति का हाथ बढ़ा चुका है यह तो कुछ कहेगा नहीं अब क्यों ना हम लोग कारगिल पर चढ़ाई कर दें कश्मीर के अंदर एंट्री करने का अच्छा तरीका है और पीछे से इन्होंने कारगिल पर चढ़ाई कर दी। कारगिल पर गुप्त तरीके से अपनी सेनाओं को कारगिल की चोटियों पर भेज दिया जब भारत को इस बात का पता चला तो मई 1999 में भारत ने कारगिल विजय के लिए युद्ध की शुरुआत कर दी भारत और पाकिस्तान की फोर्सेस आमने-सामने रही और भारत ने पाकिस्तान को हराकर अपने क्षेत्र को वापस से मुक्त करा लिया।
1962 के वॉर में जब चाइना ने भारत के साथ ऐसा किया था नेहरू जी चाइना के साथ हिंदी चीनी भाई भाई कह रहे थे और पंचशील समझौता करके बैठे थे कि हम लोग आपस में एक दूसरे के साथ म्यूचुअल रेस्पेक्ट के साथ रहेंगे एक दूसरे के ऊपर कोई हमला नहीं करेगा दोनों किसी के मामले पर कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन चाइना ने एक तरफ भारत को विश्वास दिया था कि चिंता चिंता मत करो यह बॉर्डर सुरक्षित है यहां पर कोई हमला नहीं होगा और दूसरी तरफ से हम पर हमला कर दिया जब हम तैयार नहीं थे उसी दौरान हम पर हमला हो गया था Pakistan ने भी सोचा कि इंडिया वाले अब बड़े खुश हैं कि Pakistan और India अब एग्रीमेंट कर चुके हैं एग्रीमेंट कर चुके हैं तो चलो अब इनके ऊपर हमला कर देते हैं ये थॉट तो सेम थी लेकिन India इस बार पूरी तरह तैयार था
लाहौर डिक्लेरेशन
लाहौर डिक्लेरेशन(Lahore Declaration) का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति और विश्वास बहाल करना था। 1998 में भारत और पाकिस्तान दोनों ने परमाणु परीक्षण किए थे, जिससे पूरी दुनिया में चिंता फैल गई थी। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों को बातचीत के लिए बुलाया और समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
कारगिल युद्ध (Kargil War) और समझौते का उल्लंघन
लाहौर डिक्लेरेशन के कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध छेड़ दिया। नवाज शरीफ ने अब स्वीकार किया है कि यह पाकिस्तान की गलती थी। इस युद्ध में भारत ने विजय प्राप्त की और अपने क्षेत्र को वापस पाया। इस घटना ने भारत-पाक संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया।
पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति
पाकिस्तान की राजनीति में सेना(Army) का बहुत बड़ा प्रभाव है। परवेज मुशर्रफ, जो उस समय सेना के प्रमुख थे, ने नवाज शरीफ की सरकार को कमजोर करने के लिए कारगिल युद्ध का आदेश दिया। पाकिस्तान की सेना को अपने फंड की आवश्यकता होती है, जो शांति काल में मिलना मुश्किल होता है।
भविष्य की संभावनाएँ
नवाज शरीफ के बयान से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति में कुछ बदलाव आ सकता है। हालांकि, सेना का प्रभाव अभी भी मजबूत है। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधारने के लिए दोनों देशों को राजनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से ठोस कदम उठाने होंगे।
भारत और पाकिस्तान के संबंध सुधारने की जरूरत आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी 1999 में थी। नवाज शरीफ के बयान से एक नई शुरुआत की संभावना बन सकती है, लेकिन इसके लिए दोनों देशों को ईमानदारी और विश्वास के साथ आगे बढ़ना होगा।
आशा है कि इस ब्लॉग से आपको इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक व्यापक दृष्टिकोण मिला होगा।