Israel-Lebanon: इजराइल और लेबनान के बीच हाल ही में हुआ संघर्ष विराम चर्चा का विषय बना हुआ है। इस संघर्ष में लेबनान की हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच कई महीनों तक तनावपूर्ण हालात बने रहे। इस दौरान हजारों नागरिकों ने अपने घर छोड़ दिए और सीमा क्षेत्रों में भय का माहौल था। इस संघर्ष विराम ने एक नई उम्मीद जगाई है, लेकिन इसके पीछे कई सवाल भी खड़े हुए हैं।

संघर्ष का इतिहास और कारण
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव दशकों पुराना है। हिजबुल्लाह, जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त है, लेबनान में एक सशस्त्र संगठन और राजनीतिक ताकत के रूप में सक्रिय है। हाल ही में, ईरान के प्रभाव में हिजबुल्लाह ने इजराइल पर हमले तेज कर दिए। इस दौरान सितंबर 23 और 24 को इजराइल ने लेबनान पर हवाई हमले किए, जिनमें 356 लोग मारे गए, 1000 से अधिक घायल हुए और लाखों नागरिक विस्थापित हो गए।
इस संघर्ष का मुख्य कारण हिजबुल्लाह द्वारा लेबनान की सीमा का उपयोग कर इजराइल पर हमले करना है। इजराइल इसे अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानता है।
हालिया संघर्ष और नागरिकों की दुर्दशा
सितंबर 2024 में शुरू हुए इस संघर्ष ने लेबनान में जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया। हजारों घर तबाह हुए, लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर अस्थायी शरणस्थलों पर जाना पड़ा। इस दौरान, हिजबुल्लाह और इजराइल दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे पर बड़े पैमाने पर हमले किए।
इजराइल की ओर से किए गए हवाई हमलों में हजारों लोग मारे गए और हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया। वहीं, हिजबुल्लाह ने भी इजराइल के सीमावर्ती इलाकों पर रॉकेट दागे। इन हमलों से क्षेत्र में भय और अस्थिरता का माहौल बन गया।
संघर्ष विराम की शर्तें
अमेरिका और फ्रांस ने इस संघर्ष विराम में मध्यस्थता की। अमेरिकी राष्ट्रपति और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दोनों पक्षों को संघर्ष रोकने पर राजी किया। यह समझौता यूनाइटेड नेशंस के रेजोल्यूशन 1701 के आधार पर हुआ, जो 2006 में लेबनान-इजराइल युद्ध के दौरान लागू किया गया था।
इस समझौते की प्रमुख शर्तें हैं:
- हिजबुल्लाह का स्थानांतरण: हिजबुल्लाह को लेबनान की लितानी नदी के उत्तर में स्थानांतरित किया जाएगा।
- सीमा क्षेत्र का पुनर्गठन: लितानी नदी और इजराइल के बीच के क्षेत्र को लेबनान की सेना और संयुक्त राष्ट्र की शांति सेनाओं के नियंत्रण में रखा जाएगा।
- इजराइल की सेना की वापसी: इजराइल की सेना को अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में लौटने का निर्देश दिया गया है।
- सीजफायर उल्लंघन की स्थिति: इजराइल ने स्पष्ट किया है कि यदि हिजबुल्लाह समझौते का उल्लंघन करता है, तो तुरंत जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
क्या यह शांति स्थायी होगी?
इस संघर्ष विराम के बावजूद, दोनों पक्षों के बयानों में कोई विनम्रता नजर नहीं आती। इजराइल ने कहा है कि वह हिजबुल्लाह के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है, जबकि हिजबुल्लाह ने भी संघर्ष जारी रखने की चेतावनी दी है।
यह पहली बार नहीं है जब मध्यस्थता के बाद संघर्ष विराम हुआ हो। 2006 के युद्ध के बाद भी ऐसा ही समझौता हुआ था, लेकिन कुछ ही समय बाद इसे तोड़ दिया गया। इस बार भी ऐसा ही होता दिख रहा है, क्योंकि समझौते के 24 घंटे के भीतर ही हिजबुल्लाह पर संघर्ष विराम तोड़ने का आरोप लगा और इजराइल ने जवाबी कार्रवाई की।
नागरिकों की वापसी और उनकी उम्मीदें
संघर्ष विराम के बाद लेबनान में विस्थापित नागरिक बड़ी संख्या में अपने घर लौटने लगे हैं। उनके चेहरे पर राहत की झलक है, लेकिन उनके मन में अस्थिरता का डर अभी भी बना हुआ है। वे नसरुल्लाह और हिजबुल्लाह के खिलाफ अपने गुस्से और निराशा को व्यक्त कर रहे हैं, जिनकी वजह से उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा।
इस संघर्ष ने लेबनान की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है। हजारों घर नष्ट हो चुके हैं, और देश को दोबारा खड़ा करना एक बड़ी चुनौती है।
हिजबुल्लाह और इजराइल दोनों के आक्रामक रवैये को देखते हुए यह शांति ज्यादा दिनों तक टिकेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। लेकिन यदि इस समझौते को सही तरीके से लागू किया गया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सक्रिय भूमिका निभाई, तो यह क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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