हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें अमेरिकी (USA) कोर्ट द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल को समन भेजा गया है। इस घटनाक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी ,हम विस्तार से इस पूरे मुद्दे की चर्चा करेंगे, और जानेंगे कि इस खबर के पीछे का सच्चाई क्या है।

1. मामला क्या है?
यह खबर तब उभर कर आई जब अमेरिका (America) की एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने पीएम मोदी, अजीत डोवाल, पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल और अन्य भारतीय अधिकारियों को समन जारी किया। यह समन प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा से कुछ दिन पहले आया, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की आशंका बढ़ गई।
इसका कारण? खालिस्तानी सेपरेटिस्ट पवन सिंह पन्नू ने आरोप लगाया कि भारत सरकार ने 2023 में उसकी हत्या की साजिश रची थी। इसके अलावा, एक अन्य खालिस्तानी नेता, निज्जर, की हत्या को भी इस साजिश से जोड़ा जा रहा है।
2. पन्नू का आरोप और खालिस्तानी आंदोलन:
पवन सिंह पन्नू, जो अमेरिका और कनाडा की नागरिकता रखता है, ने आरोप लगाया कि भारत सरकार ने उसे मारने की योजना बनाई थी। पन्नू का दावा है कि रॉ के एजेंट्स ने उसकी हत्या की योजना बनाई थी, जैसा कि निज्जर की हत्या में हुआ था। निज्जर की हत्या के बाद से ही खालिस्तानी आंदोलनकारियों में गुस्सा बढ़ा है।
खालिस्तानी आंदोलन एक पुरानी समस्या है, जिसमें अलग सिख राज्य की मांग की जाती है। इस विवाद में अमेरिका, कनाडा और भारत के बीच अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रभावित हो रहे हैं। पन्नू और उसके जैसे नेता अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं।
3. अमेरिकी कोर्ट द्वारा समन:
अमेरिकी (U.S.A.) डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने पीएम मोदी, डोवाल और अन्य अधिकारियों को समन जारी करते हुए कहा कि वे इस मामले में कोर्ट में उपस्थित हों। यह खबर विश्व मीडिया में सुर्खियों में आ गई, खासकर प्रधानमंत्री की आगामी अमेरिका यात्रा के मद्देनज़र। इस समन को कई लोग भारत की कूटनीतिक छवि के खिलाफ मान रहे हैं।
हालांकि, यह मामला तब और पेचीदा हो गया जब यह सामने आया कि पन्नू ने यह केस अमेरिकी कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर दर्ज कराया है, न कि अमेरिकी सरकार द्वारा।
4. अमेरिका-भारत के रिश्तों पर प्रभाव:
यह घटना भारत-अमेरिका के संबंधों में एक नया मोड़ ला सकती है। प्रधानमंत्री मोदी और अजीत डोवाल को समन भेजने की खबर से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ सकता है। खासकर जब अमेरिका ने पहले ही खालिस्तानी आंदोलनकारियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है।
फिर भी, भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह मामला किसी बड़ी साजिश का हिस्सा नहीं है और इस पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। भारत ने इस समन को खालिस्तानी आंदोलन के नेताओं द्वारा ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास बताया है।
यह मामला केवल एक कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है या इसके पीछे कोई बड़ा कूटनीतिक संदेश छिपा है, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना स्पष्ट है कि यह घटना भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर प्रश्नचिन्ह लगाने का एक प्रयास है। भारत को ऐसे आरोपों का सामना धैर्यपूर्वक और बुद्धिमत्ता के साथ करना होगा।