Vinesh Phogat: भारतीय खेल जगत के दो प्रमुख चेहरे, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया, जिन्होंने देश के लिए अनेक पदक जीते हैं, हाल ही में कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। यह खबर न केवल खेल प्रेमियों के लिए, बल्कि राजनीति से जुड़े लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गई है। खास बात यह है कि इन दोनों खिलाड़ियों का कांग्रेस में प्रवेश एक ऐसे समय पर हुआ है जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सवाल उठता है कि क्या इन खिलाड़ियों का राजनीति में आना केवल संयोग है, या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक साजिश है? आइए इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

जंतर मंतर से राजनीति तक: आंदोलन की शुरुआत
विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) और कई अन्य महिला पहलवानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते आंदोलन किया था। ब्रजभूषण सिंह, जो भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष थे, पर इन महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाए थे। यह आंदोलन धीरे-धीरे बड़ा रूप लेता गया और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।
महिला खिलाड़ियों का यह आरोप था कि ब्रजभूषण सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए महिला पहलवानों का यौन शोषण किया। यह विरोध प्रदर्शन जनवरी 2023 में शुरू हुआ और पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं। खिलाड़ियों की मांग थी कि ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और उन्हें उनके पद से हटाया जाए। इसके जवाब में सरकार ने एक जांच समिति का गठन किया, जिसमें एमसी मैरी कॉम जैसी प्रमुख खिलाड़ी शामिल थीं, लेकिन खिलाड़ियों ने इस समिति पर भी सवाल उठाए और इसे पक्षपाती बताया।
हुड्डा परिवार और ब्रजभूषण सिंह: एक पुरानी प्रतिद्वंद्विता
यह कहानी केवल यौन उत्पीड़न के आरोपों तक सीमित नहीं है। ब्रजभूषण सिंह और हरियाणा के हुड्डा परिवार के बीच की प्रतिद्वंद्विता 2011 से चल रही है। उस समय ब्रजभूषण सिंह ने दीपेंद्र हुड्डा को हराकर WFI के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। यह हार हुड्डा परिवार के लिए बड़ी राजनीतिक हार मानी गई थी, क्योंकि हरियाणा हमेशा से कुश्ती के लिए प्रसिद्ध रहा है और यहां के पहलवान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करते रहे हैं।
2023 में, जब WFI के नए चुनाव होने वाले थे, तब एक बार फिर से ब्रजभूषण सिंह और हुड्डा परिवार के बीच का संघर्ष सामने आया। दीपेंद्र हुड्डा और उनके समर्थकों ने ब्रजभूषण सिंह को हटाने के लिए हरियाणा के खिलाड़ियों का समर्थन लिया। ब्रजभूषण का कहना है कि यह पूरा विरोध केवल उन्हें चुनाव में हराने के लिए किया गया था, और यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा था। उनके अनुसार, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का कांग्रेस में शामिल होना इसी साजिश का हिस्सा था।
कांग्रेस में शामिल होने का समय और संदेह
विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) और बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) का कांग्रेस में शामिल होना हरियाणा विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुआ। कांग्रेस ने विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) को हरियाणा के जुलाना विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है, जबकि बजरंग पुनिया को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह घटनाक्रम सवाल उठाता है कि क्या यह केवल संयोग था, या इसके पीछे एक गहरी राजनीतिक योजना थी?
ब्रजभूषण सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरा आंदोलन एक ‘स्क्रिप्टेड प्लान’ था, जिसे हुड्डा परिवार ने लिखा था। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों का विरोध प्रदर्शन केवल उन्हें WFI के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए किया गया था और अब खिलाड़ियों का कांग्रेस में शामिल होना यह साबित करता है कि यह आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित था।
खेल और राजनीति: एक जटिल संबंध
भारत में खेल और राजनीति का संबंध कोई नया नहीं है। कई खिलाड़ी राजनीति में आ चुके हैं और उन्होंने इसमें बड़ी सफलता हासिल की है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या खिलाड़ियों का राजनीति में प्रवेश खेल के मूल्यों को प्रभावित करता है? क्या यह राजनीतिक हस्तक्षेप खेल के प्रदर्शन और खिलाड़ियों की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव डालता है?
विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) और बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) का कांग्रेस में शामिल होना इस सवाल को और गंभीर बना देता है। जब खिलाड़ी एक राजनीतिक दल में शामिल होते हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या उनका संघर्ष खेल और न्याय के लिए था या फिर वे राजनीति में प्रवेश की तैयारी कर रहे थे? खेल जगत से राजनीति की ओर बढ़ना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस घटनाक्रम ने खेल और राजनीति के बीच की खींचतान को और स्पष्ट कर दिया है।
महिला खिलाड़ियों का संघर्ष: न्याय या राजनीति?
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि महिला खिलाड़ियों का विरोध क्या वास्तव में न्याय की मांग था या यह केवल एक राजनीतिक आंदोलन का हिस्सा था? विनेश फोगाट और अन्य खिलाड़ियों ने अपने संघर्ष के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया। उन्हें पुलिस द्वारा रोका गया, उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा, और अंततः उन्होंने ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।
लेकिन अब, जब ये खिलाड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह विरोध वास्तव में न्याय के लिए था या यह राजनीति का एक हिस्सा था? ब्रजभूषण सिंह ने यह आरोप लगाया है कि यह सब कुछ पहले से तय था और हुड्डा परिवार ने इस पूरे आंदोलन को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया।
खेल और राजनीति के बीच की खींचतान
विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का राजनीति में प्रवेश खेल और राजनीति के जटिल संबंध को उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन खिलाड़ियों का राजनीति में प्रवेश क्या उनके संघर्ष को एक नया मंच देता है या फिर यह केवल एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा था।
विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से ही यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह कदम उनके संघर्ष को आगे बढ़ाएगा या यह केवल राजनीति का एक हिस्सा था। खेल और राजनीति के बीच की इस खींचतान में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खिलाड़ियों के संघर्ष और उनकी आवाज़ को कितना सुना जाता है।